गोलीय अपवर्तक सतह के अविपथी बिन्दु
- एबे की ज्या शर्त से
- यदि यह अनुपात किसी विशेष सतह के लिए नियत रहता है, तो वह सतह अविपथी सतह (aplanatic surface) कहलाती है।
- एक अविपथी सतह वह सतह है, जो इसकी अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु बिम्ब का बिन्दु प्रतिबिम्ब प्रदान करती है।
- अविपथी सतह से निर्मित प्रतिबिम्ब प्रकाशीय विपथन (optical aberrations) से मुक्त होता है।
- △OPC में ज्या नियम से
…(1)
- चूंकि अपवर्तन सघन से विरल माध्यम में हो रहा है, अतः स्नेल के नियम से
…(2)
- अब समीकरण (1) तथा (2) से
sin θ1 = sin r ⇒ θ1 = r
- ΔIOP में, θ1 = θ2 + (r − i) ⇒ θ2 = i
- ΔOCP तथा ΔICP से
- यह सम्बन्ध θ1 तथा θ2 पर निर्भर नहीं करता है।
- बिन्दु O से किसी भी कोण पर अपसरित प्रकाश किरण अवश्य ही I पर अभिसरित होती है।
- इस अवस्था में बिन्दु C से R/µ दूरी पर स्थित बिन्दु O का प्रतिबिम्ब C से µR दूरी पर स्थित बिन्दु I पर बनेगा।
- चूंकि प्रतिबिम्ब θ1 तथा θ2 से मुक्त है, अतः प्रतिबिम्ब प्रकाशीय दोषों से मुक्त होगा।
- यह गुण अविपथी लेन्स या नवचन्द्रक लेन्स के निर्माण में प्रयोग में लिया जाता है।
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