समाक्षीय लेन्स निकाय तथा इसके प्रधान बिन्दु
- माना f1 तथा f2 फोकस दूरियों वाले दो लेन्स एक दूसरे से दूरी d पर चित्रानुसार स्थित हैं।
- यदि δ1 तथा δ2 क्रमशः लेन्स L1 तथा L2 द्वारा उत्पन्न विचलन हों, तो
- लेन्स निकाय द्वारा उत्पन्न कुल विचलन
δ = δ1 + δ2 …(1)
तुल्य फोकस दूरी
- पतले लेन्स द्वारा उत्पन्न विचलन, δ = h / f
∴ δ1 = h1 / f1, δ2 = h2 / f2 तथा δ = h1 / F …(2)
- यहां F लेन्स निकाय की तुल्य फोकस दूरी है।
- समीकरण (1) तथा (2) से
- चित्र से
O2C = O2P – CP (∵ δ1 = CP / BP)
∴ h2 = h1 – (BP) δ1
यहां Δ = f1 + f2 − d, तथा यह प्रकाशीय पृथक्करण कहलाता है।
- यदि P1 तथा P2 क्रमशः लेन्स L1 तथा L2 की शक्ति हो, तो लेन्स निकाय की कुल शक्ति
P = P1 + P2 – d P1P2
द्वितीय फोकस बिन्दु की स्थिति (O2F2 = β2)
- वास्तविक बिन्दु, जहां से दूरी मापी जाती है, O1 तथा O2 हैं।/li>
- F2 की दूरी बिन्दु O2 से मापी जाती है।
O2F2 = β2
- ΔM2H2F2 तथा ΔCO2F2 से
परन्तु h2 = h1 (1 – d / f1)
द्वितीय मुख्य बिन्दु की स्थिति (O2H2 = α2)
- द्वितीय मुख्य बिन्दु की दूरी, द्वितीय प्रकाशीय केन्द्र O2 से मापी जाती है।
- चित्र से,
H2O2 = H2F2 – O2F2
or α2 = F – β2 (∵ H2F2 = F and O2F2 = β2)
- चूंकि H2 लेन्स L2 के बांई ओर स्थित है।
प्रथम मुख्य बिन्दु की स्थिति (O1H1 = α1)
- प्रथम मुख्य बिन्दु की दूरी, प्रथम प्रकाशीय केन्द्र O1 से मापी जाती है।
प्रथम फोकस बिन्दु की स्थिति (O1F1 = β1)
- प्रथम फोकस बिन्दु की दूरी, प्रथम प्रकाशीय केन्द्र O1 से नापी जाती है।
- चित्र से
O1F1 = H1F1 – O1H1 (∵ H1F1 = F and O1H1 = α1)
or β1 = F – α1
- चूंकि F1 लेन्स L1 के बांई ओर स्थित है।
समाक्षीय लेन्स निकाय तथा इसके प्रधान बिन्दु के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।