डेविसन-जर्मर प्रयोग
यह प्रयोग डी-ब्रोगली परिकल्पना का प्रायोगिक स्पष्टीकरण प्रदान करता है।
Experimental arrangement of Davisson Germer experiment
- F टंगस्टन से निर्मित फिलामेन्ट है।
- F को एक बैटरी से गर्म करने पर इससे इलेक्ट्रॉन त्वरित होते हैं।
- G एक एनोड़ है, जिसमें अत्यन्त सूक्ष्म छिद्र होता है।
- C निकल क्रिस्टल है। इस पर इलेक्ट्रॉन टकराते हैं तथा सभी सम्भव दिशाओं में प्रकीर्णित होते हैं।
- D एक संसुचक है, जिसे एक वृत्ताकार पैमाने S पर घुमाया जा सकता है तथा इसकी सहायता से C द्वारा प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता का मापन किया जा सकता है।
- φ = क्रिस्टल पर आपतित इलेक्ट्रॉन पुंज तथा इससे प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉन की दिषा के मध्य कोण है।
- यदि हम विभिन्न V पर φ तथा क्रिस्टल C द्वारा प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉन पुंज की तीव्रता I के मध्य ग्राफ खींचे तो वह निम्न प्रकार का प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
- I का मान φ पर निर्भर करता है।
- φ = 50° पर सदैव वक्र में एक कुबड़ प्राप्त होती है।
- त्वरित वोल्टता V का मान जैसे-जैसे बढ़ता है, कुबड़ का आकार बढ़ता जाता है।
- V = 54 वोल्ट पर प्राप्त कुबड़ का आकार अधिकतम होता है।
- V का मान और अधिक बढ़ाने पर कुबड़ का आकार पुनः घटता है।
- डी-ब्रोगली के अनुसार
or λ = 1.67 Å
- ब्रेग नियम से
2d sin θ = nλ
- यहां n = विवर्तन की कोटि, d = अन्तर-तलीय दूरी, तथा θ = विवर्तन का दृष्टि कोण है।
- X-किरण विश्लेषण के लिए Ni क्रिस्टल समतल विवर्तन ग्रेटिंग का कार्य करता है।
- Ni क्रिस्टल के लिए d111 = 0.91 Å for Ni crystal
- चूंकि विवर्तन कोण φ = 50°
- अतः दृष्टि कोण, θ = (180 ー50) / 2 = 65°
∴ 2 × 0.91 sin 65° = 1 × λ
or λ = 1.65 Å
- λ के लिए प्राप्त दोनों परिणामों में अत्यधिक समानता इलेक्ट्राॅनों के लिए डी-ब्रोगली परिकल्पना की पुष्टि करता है।
- अतः 50° कोण पर 54eV ऊर्जा के इलेक्ट्राॅन पुंज में सर्वाधिक विवर्तन होता है, जो तरंग प्रकृति को दर्शाता है तथा Ni क्रिस्टल विवर्तन ग्रेटिंग की भांति कार्य करता है।
डेविसन-जर्मर प्रयोग की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।