फर्मी डिराक सांख्यिकी
- यह सांख्यिकी फर्मीऑन या फर्मी कणों पर आरोपित की जाती है, अर्थात् वे कण जो अविभेदित हों तथा जिनकी चक्रण क्वांटन संख्या अर्द्ध पूर्णांक हो।
- कण एक दूसरे से अविभेदित होते हैं।
- प्रत्येक कोश या उपस्तर में 0 या 1 कण हो सकता है, अर्थात्, gi, >> ni
- निकाय में कुल कणों की संख्या सदैव नियत रहती है, n = Σni = नियत
- विभिन्न समूहों में स्थित सभी कणों की ऊर्जा का योग अर्थात् निकाय की कुल ऊर्जा सदैव नियत रहती है, E = Σniεi = नियत
- हम n स्वतंत्र समरूप कण, जिनका चक्रण अर्द्ध पूर्णांक है, पर विचार करते हैं।
- इन कणों को क्वांटम समूहों या स्तरों में इस प्रकार वितरित करना है कि
- ऊर्जा स्तर ε1, ε2, ε3, …εi
- अपभ्रष्टता g1, g2, g3, …gi
- कणों की संख्या n1, n2, n3, …ni
- हम एक बक्से पर विचार करते है। इस बक्से में gi भाग हैं, जिसमें ni कणों को वितरित करना है।
- प्रथम कण को gi भाग में से किसी भी एक भाग में भरने के तरीके = gi
- अब बचे हुए (gi – 1) भागों में दूसरे कण को भरने के कुल तरीके = (gi – 1)
… … … … … …
- ni कणों को gi अवस्थाओं में वितरित करने के कुल तरीके = gi (gi – 1) (gi – 2) … (gi – ni + 1)
- चूंकि कण एक दूसरे से अविभेदित हैं।
- अतः अभीष्ट वितरणों की संख्या
- सम्पूर्ण निकाय के लिए कुल आइगन अवस्थाओं की संख्या
- आइगन अवस्थाओं की पूर्व प्रायिक अवधारणा के अनुसार
- स्टर्लिंग सन्निकट के अनुसार, log x! = x log x – x
- अधिकतम प्रायिकता के लिए, δ log ω = 0
- अन्य शर्तें
n = Σ ni = नियत
or δn = Σ δni = 0 …(2)
and E = Σ ni εi = नियत
or δE = Σ εiδni = 0 …(3)
- लैग्रांज के अनिर्धारित गुणक की विधि से, (1) + (2) × α + (3) × β
Σ [log {ni /(gi − ni)} + α + βεi ] δni = 0
- परन्तु δni स्वैच्छ है
∴ log {ni /( gi −ni )} + α + βεi = 0
or log {(gi / ni ) − 1 } = α + βεi
or (gi / ni ) − 1 = exp (α + βεi )
or (gi / ni ) = exp (α + βεi ) + 1
or ni = gi / [exp (α + βεi ) + 1]
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