गैसों का अणुगति सिद्धान्त तथा आदर्श गैस का दाब
गैसों के गतिज सिद्धान्त की अभिधारणाएं
- एक गैस अत्यन्त छोटे, अदृश्य एवं पूर्णतः प्रत्यास्थ कणों से मिलकर बनी होती है, जो अणु कहलाते हैं।
- एक शुद्ध गैस के सभी अणु समदृश होते हैं तथा ये सभी सम्भव दिशाओं में सभी सम्भव वेग से सतत् रूप से गति करते रहते हैं।
- गैस जिस पात्र में भरी जाती है, वह उस पात्र की दीवारों पर दाब लगाती है।
- गैस के अणु किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य सीधी रेखा में गति करते हैं।
- गैस के अणुओं का आकार किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य तय की गई दूरी की तुलना में अनन्त सूक्ष्म होता है।
- ये टक्करें तात्क्षणिक होती हैं तथा टक्करों में गतिज ऊर्जा की कोई हानि नहीं होती है।
- अणु एक दूसरे पर कोई बल नहीं लगाते हैं। वे एक दूसरे पर बल केवल टकराने के दौरान लगाते हैं। इनकी सम्पूर्ण आणविक ऊर्जा, गतिज ऊर्जा होती है।
- गैस के अणुओं का कुल आयतन, उस पात्र के आयतन, जिसमें यह भरी है कि तुलना में नगण्य होता है।
- गैस में अन्तर—आणविक दूरी बहुत अधिक होती है, जिससे कि गैस के अणु उसके लिए उपलब्ध सम्पूर्ण स्थान में मुक्त रूप से घूम सकते हैं।
माध्य मुक्त पथ
- किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य अणुओं द्वारा तय की गई दूरी मुक्त पथ कहलाती है तथा इन मुक्त पथों के मध्य की औसत दूरी माध्य मुक्त पथ कहलाती है।
एक आदर्श गैस का दाब
- माना c1 के X, Y तथा Z दिशाओं में घटक क्रमश u1, v1 तथा w1 हैं।
- माना अणु पात्र की दीवार ABCD पर u1 वेग से टकराते हैं।
- X-दिशा में अणु का संवेग = mu1
- चूंकि अणु तथा पात्र की दीवारें पूर्णतः प्रत्यास्थ हैं। इसलिए टक्कर के दौरान अणुओं का वेग परिवर्तित नहीं होता है, केवल इनकी दिशा परिवर्तित हो जाती है।
- टक्कर के पश्चात् X-दिशा में अणु का संवेग = – mu1
- एक टक्कर में संवेग में परिवर्तन = mu1 – (mu1) = 2mu1
- अणु पुन ABCD दीवार से टकराने से पूर्व u1 वेग से 2l दूरी तय करता है।
- ABCD दीवार के साथ अणु की दो क्रमागत टक्करों के मध्य लगा समय = 2l / u1
- एक सेकण्ड में टक्करों की संख्या = u1 / 2l
- इस अणु की दीवार ABCD के साथ टक्कर में प्रति सेकण्ड संवेग में परिवर्तन = 2mu1 × (u1 / 2l) = mu12 / l
- सभी n अणुओं के दीवार ABCD से टकराने के दौरान एक सेकण्ड में संवेग में परिणामी परिवर्तन, dp/dt = mu12 / l + mu22 / l + mu32 / l + … + mun2 / l = (m / l ) Σu2
- न्यूटन के द्वितीय नियम से बल, F = dp/dt
- पात्र की दीवार ABCD पर गैस के अणुओं द्वारा लगाया गया बल = (m / l ) Σu2
- यदि A क्षेत्रफल हो, तो दाब, P = F/A
- ABCD दीवार पर लगने वाला दाब, Px = (m / l ) Σu2 × (1 / l2) = (m / l3) Σu2
∵ पात्र का आयतन, V = l3
∴ Px = (m / V) Σu2
- इसी प्रकार Py = (m / V) Σv2 तथा Pz = (m / V) Σw2
- यदि घन का आयतन बहुत कम हो, तो Px = Py =Pz = P
∴ 3P = (m / V) Σ (u2 + v2 + w2)
or P = (m / 3V) Σ (u2 + v2 + w2)
∵ c2 = u2 + v2 + w2)
∴ P = (m / 3V) Σ c2
चूंकि सभी n-अणुओं का वर्ग माध्य वेग
∵ mn = M (गैस का कुल द्रव्यमान)
and mn / V = ρ (गैस का घनत्व)
यहां E प्रति एकांक आयतन गैस की गतिज ऊर्जा है।
चूंकि गैस में ध्वनि का वेग है
v2 = γP / ρ
यहां γ समान गैस की दो विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात है।
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