फर्मेट सिद्धान्त द्वारा अपवर्तन का नियम
फर्मेट सिद्धान्त
- फर्मेट के चरम पथ के सिद्धान्त के अनुसार जब कोई प्रकाश किरण अनेक परावर्तनों तथा अपवर्तनों के द्वारा माध्यमों के समूहों या समुच्चयों में से होती हुई एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक पहुंचती है, तो वह उस पथ का चयन करती है, जिसमें लगा समय या तो न्यूनतम हो या अधिकतम हो।
फर्मेट सिद्धान्त द्वारा अपवर्तन का नियम
- A तथा B के मध्य प्रकाशीय पथ
- l = µ1 (AO) + µ2 (OB)
- l = µ1 √{a2 + x2} + µ2 √{b2 + (c – x)2)}
- फर्मेट के सिद्धान्त के अनुसार बिन्दु O की स्थिति इस प्रकार होगी कि प्रकाशीय पथ l का मान या तो न्यूनतम होगा या अधिकतम होगा।
- dl/dx = 0
- यह स्नेल नियम का गणितीय रूप है।
- इस प्रकार, जब कोई प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है या अपवर्तित होती है, तो आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात सदैव नियत रहता है तथा इसका मान दूसरे माध्यम का प्रथम माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक के बराबर होता है।
- साथ ही आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अपवर्तक पृष्ठ का अभिलम्ब तीनों एक ही तल में स्थित होते हैं।
- ये अपवर्तन के नियम हैं।
- यदि प्रकाश किरण विरल से सघन माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अभिलम्ब की ओर मुड़ती है तथा यदि सघन से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलम्ब से दूर हटती है।
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