प्लांक विकिरण नियम
- यह बोस आइंसटिन सांख्यिकी का अनुप्रयोग है।
- क्वांटम सिद्धान्त के अनुसार विकिरित ऊर्जा सदैव ऊर्जा पैकेट के रूप में होती है।
- ये पैकेट क्वांटा या फाॅटोन कहलाते हैं।
- इन पैकेट की ऊर्जा hν होती है। यहां ν फॉटोन की आवृत्ति है।
- फाॅटोन अविभेदित कण है (m0 = 0), जिनकी चक्रण क्वांटम संख्या s = 1 (पूर्णांक) है।
- अतः फाॅटोन बोस कण हैं, इन पर बोस आइंसटिन सांख्यिकी आरोपित की जा सकती है।
- अब एक पात्र पर विचार करते हैं
- विकिरण पात्र की दीवारों के साथ ऊष्मीय साम्य में हैं।
- आवृत्ति परास ν तथा ν + dν में विकिरण का ऊर्जा घनत्व = uνdν
- संवेग आकाश में अल्प आयतन (h3/V) में कण अविभेदित होते हैं।
- अतः ये आइगन स्तरों को निरूपित करते हैं।
- किसी भी क्षण p तथा p + dp संवेग अन्तराल में स्थित सभी कण एक कोश में स्थित होंगे, जिसका आयतन होगा = 4πp2dp
- आइगन स्तरों की कुल संख्या
- फोटाॅन के लिए
- समीकरण (1) तथा (2) से
- विकिरण के लिए ध्रुवण की दो स्वतंत्र दिशाएं होती हैं
- आवृत्ति परास ν तथा ν + dν में कुल आइगन स्तरों की संख्या
g(ν)dν = 8πV(ν2/c3)dν …(3)
- बोस आइंसटिन सांख्यिकी से
- समीकरण (3) तथा (4) से
- प्रति एकांक आयतन फोटाॅन की संख्या
- प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा
- ε = hν dε = h dν
- एकांक आयतन की ऊर्जा (ऊर्जा घनत्व)
∵ β = 1 / kT तथा यदि α = 0 हो, तो
- यह प्लांक विकिरण सूत्र या प्लांक नियम कहलाता है।
- यदि hν << kT हो, तो
- यह रैले-जीन का नियम कहलाता है।
- यदि hν >> kT हो, तो
- यह वीन का नियम कहलाता है।
- कुल ऊर्जा घनत्व
- यह स्टीफन-बोल्ट्मान नियम कहलाता है, जहां b वीन नियतांक है।
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