अर्द्धचालक (Semiconductors)
- इन पदार्थों के परमाणुओं की चालकता, चालक एवं कुचालक के मध्य होती है।
- इन पदार्थों की प्रतिरोधकता चालक से अधिक तथा कुचालक से कम होती है।
- इनकी चालकता, चालक से कम तथा कुचालक से अधिक होती है।
- इनका प्रतिरोध तथा प्रतिरोधकता ताप के बढ़ाने पर घटता है, अर्थात् अर्द्धचालकों का ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।
- अर्द्धचालकों की चालकता कुछ अशुद्धि मिलाकर बढ़ाई जा सकती है।
- उदाहरणः Ge, Si, आदि।
अर्द्धचालकों के प्रकार (Types of semiconductors)
नैज अर्द्धचालक (intrinsic semiconductor)
- अपने प्राकृतिक शुद्ध रूप में अर्द्धचालक, नैज अर्द्धचालक कहलाता है।
- इन अर्द्धचालकों के बाह्यतम कोश में चार इलेक्ट्राॅन होते हैं, इसलिए ये चतुष्संयोजी तत्व कहलाते हैं।
- ताप बढ़ाने पर संयोजी इलेक्ट्राॅन अपना स्थान छोड़ते हैं तथा उस स्थान पर कुछ खाली स्थान बन जाता है, जो होल या कोटर (hole) कहलाता है।
- कोटर का आवेश धनात्मक होता है (क्योंकि यह वह क्षेत्र है, जहां से इलेक्ट्राॅन विस्थापित होता है।)
- कोटर की स्थिति अन्य इलेक्ट्राॅन द्वारा भर दी जाती है, तथा इस प्रकार नए कोटर का निर्माण होता है, तथा यह नया कोटर पुनः अगले इलेक्ट्राॅन द्वारा भर दिया जाता है। इस प्रकार कोटर अपना स्थान सतत् रूप से तथा यादृच्छिक रूप से परिवर्तित करता रहता है।
- कोटर की गति ठीक मुक्त इलेक्ट्राॅन की गति की भांति होती है।
- चूंकि शुद्ध अर्द्धचालकों में इलेक्ट्राॅन तथा होल की संख्या अत्यन्त कम होती है, इसलिए नैज अर्द्धचालक में उत्पन्न धारा को प्रायोगिक कार्य में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है।
Motion of hole in intrinsic semiconductor
Structure of intrinsic semiconductor
बाह्य अर्द्धचालक (Extrinsic Semiconductor)
- जब किसी शुद्ध अर्द्धचालक मे अल्प मात्रा में अशुद्धि मिला दी जाती है, तो इसकी चालकता में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।
- नैज अर्द्धचालक में अशुद्धि मिलाने की यह प्रक्रिया डोपिंग (मादन) कहलाती है।
- इस प्रकार प्राप्त अर्द्धचालक मादित अर्द्धचालक, अशुद्ध अर्द्धचालक या बाह्य अर्द्धचालक कहलाता है।
- प्रायः दिए गए अर्द्धचालक के 108 परमाणु में एक परमाणु की अशुद्धि मिलाई जाती है।
बाह्य अर्द्धचालकों के प्रकार (Types of extrinsic semiconductor)
n-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक (n-type extrinsic semiconductors)
- जब किसी शुद्ध अर्द्धचालक में पंचसंयोजी परमाणु (Sb, As, Bi, P) की अशुद्धि मिलाई जाती है, तो इस प्रकार प्राप्त अर्द्धचालक n-प्रकार (ऋणात्मक प्रकार) का अर्द्धचालक कहलाता है।
- चूंकि एक पंचसंयोजी परमाणु में पांच संयोजी इलेक्ट्राॅन होते हैं, तथा इन पांच में से चार संयोजी इलेक्ट्राॅन दिए गए अर्द्धचालक के साथ सह-संयोजक बन्ध बनाते हैं एवं एक मुक्त इलेक्ट्राॅन होता है।
- अतः इन अर्द्धचालकों में प्रत्येक अशुद्धि परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्राॅन का दान करता है, इसीलिए यह अशुद्धि दाता प्रकार की अशुद्धि (donor type impurity) कहलाती है।
- अतः वह अर्द्धचालक, जिसमें दाता प्रकार की अशुद्धि होती है n-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक कहलाता है।
- इनमें मुख्य आवेश वाहक इलेक्ट्राॅन होते हैं।
n-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक
p-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक (p-type extrinsic semiconductors)
- जब किसी शुद्ध अर्द्धचालक में त्रिसंयोजी परमाणु की अशुद्धि मिलाई जाती है, तो इस प्रकार प्राप्त अर्द्धचालक p-प्रकार (धनात्मक प्रकार) का अर्द्धचालक कहलाता है।
- चूंकि एक त्रिसंयोजी परमाणु में तीन संयोजी इलेक्ट्राॅन होते हैं, तथा सभी तीन संयोजी इलेक्ट्राॅन दिए गए अर्द्धचालक के साथ सह-संयोजक बन्ध बनाते हैं। अतः इनमें एक इलेक्ट्राॅन की कमी होती है।
- इलेक्ट्राॅन की यह कमी कोटर कहलाती है।
- अतः इन अर्द्धचालकों में प्रत्येक अशुद्धि परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्राॅन ग्रहण करता है, इसलिए यह अशुद्धि ग्राह्यी प्रकार की अशुद्धि (acceptor type impurity) कहलाती है।
- अतः वह अर्द्धचालक, जिसमें ग्राह्यी प्रकार की अशुद्धि होती है p-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक कहलाता है।
- इनमें मुख्य आवेश वाहक कोटर होते हैं।
p-प्रकार का बाह्य अर्द्धचालक
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